वर्ण क्या है और इसके कितने भेद है

दोस्तों आज हम इस लेख में वर्ण के बारे में जानने वाले है और वर्ण की परिभाषा क्या है इसके बारे में जानेंगे. तो चलिए जानते है वर्ण क्या है ? लेकिन उससे पहले हम इसकी परिभाषा के बारे में जानते है.

वर्ण की परिभाषा – वर्ण व्याकरण का वह भाग है जिसमे वर्णों की संख्या उनके उच्चारण लिखने तथा शब्द बनाने की रीतियों का वर्णन रहता है वह मूल ध्वनी जिसका खंड न हो वर्ण कहलाता है जैसे क, ख, ग अर्थात विभाजित न होने वाली मूल ध्वनी  

वर्ण भाषा की वह छोटी से छोटी ध्वनी, जिसके टुकरे टुकरे नहीं किये जा सकते है उसे वर्ण या अक्षर कहते है या दुसरे शब्दों में मुख से निकलने वाली हर ध्वनी को वर्ण या अक्षर कहते है और इसके मेल से शब्द बनता है

जैसे गाय दूध देती है ऊपर गाय “दूध” देती और कुल चार शब्द है देखने से गाय शब्दों में दो ध्वनी गा और य निकलती है किन्तु यदि इन पर ध्यान दिया जाय तो गाय शब्द में चार ध्वनी है ग आ और य अ ध्वनियो में से प्रत्येक ध्वनी दो दो टुकडो से मिल कर बनी है इनमे से किसी ध्वनी के और अधिक टुकड़े नहीं हो सकते है

वर्ण के कितने भेद होते है ?

  • स्वर
  • व्यनजन

वर्ण के कितने भेद होते है ?

  • स्वर
  • व्यनजन


स्वर वर्ण – स्वर ऐसे वर्णों या अक्षरों को कहते है जिनका उच्चरण अपने आप होता है इनके उच्चारण में दुसरे वर्ण की सहायता लेने की आवश्यकता नहीं पड़ती है इनकी संख्या ग्यारह है – अ, आ, इ, ई,उ,ऊ ए,ऐ ओऔ ऋ
स्वर वर्ण के दो प्रकार होते है

  • हस्व
  • दीर्घ


हसवा स्वर या मूल स्वर –

जिसका उच्चारण करने में कम समय लगता है या एक माना का समय लगता है, जैसे अ,इ,उ,ऋ ये मूल स्वर है “अ” के उच्चारण में कम समय लगता है और “आ” के उच्चारण में “अ” से दूना समय लगता है इस प्रकार “अ” मूल स्वर है इसे एक्मत्रिक स्वर भी कहते है

दीर्घ स्वर-

जिनका उच्चारण करने में स्वर से दूना या दो मात्राओ का समय लगे वह दीर्घ स्वर कहलाता है जैसे आ, ई,ऊ,ए, ऐ, ओ, औ इन्हें संयुक्त स्वर भी कहा जाता है


प्लुत स्वर

जिनके बोलने में मूल स्वर का तिगुना या तीन मात्राओ का समय लगे जैसे ऊंम अधिकतर संबोधन में इसका प्रयोग होता है इसे त्रिमात्रिक स्वर भी कहते है

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